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  • प्रवीण कुमार

हवाई जहाज में मोबाइल फ़ोन को, फ्लाइट मोड में रखना जरूरी क्यों होता है ?

दोस्तों क्या आपको पता है कि, एरोप्लेन में बैठने के बाद उड़ान के दौरान, यदि यात्री अपने मोबाइल फोन को, फ्लाइट मोड पर नहीं रखें तो क्या होगा ? फ्लाइट के दौरान, मोबाइल नेटवर्क का उपयोग करना, आखिर कितना ख़तरनाक है ? उड़ान के समय, मोबाइल नेटवर्क का उपयोग करने से एरोप्लेन के नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम्स में, रुकावट आ सकती है। एरोप्लेन में यात्रा शुरू होते समय, फ्लाइट अटेंडेंट सभी यात्रियों से सीट बेल्ट बांधने और अपने मोबाइल फोन को फ्लाइट मोड पर रखने के निर्देश देते हैं। यह सवाल सभी लोगों के मन में आता है, कि एरोप्लेन में उड़ान के दौरान, फोन को एरोप्लेन मोड या फ्लाइट मोड पर न रखने से आखिर क्या होगा ? क्या ऐसा करने से हवाई जहाज में कोई धमाका हो सकता है या वो फ्लाइट क्रैश हो सकती है ?



आइए सबसे पहले समझते हैं, कि आख़िर फ्लाइट मोड का मतलब क्या होता है ?


मोबाइल फोन के फ्लाइट मोड या एरोप्लेन मोड का संबंध, सामान्यतः नेटवर्क से रिलेटेड कामों से होता है - जैसे कॉल करना और इंटरनेट यूज़ करना। जब लोग अपने मोबाइल फोन में, फ्लाइट मोड ऑन कर देते हैं तो फिर उनके मोबाइल फोन का नेटवर्क से कनेक्शन बंद हो जाता है। फ्लाइट मोड ऑन होने पर, लोग, अपने मोबाइल फोन से, न तो किसी को कॉल कर सकते हैं, और न ही, अपने मोबाइल फोन पर, इंटरनेट चला सकते हैं। लेकिन फ्लाइट मोड ऑन होने के बावजूद भी, लोग अपने मोबाइल फोन के स्टोरेज में पहले से सेव की गयी फिल्में और वीडियोज देख सकते हैं या संगीत भी सुन सकते हैं। कुछ स्मार्टफोनों में तो फ्लाइट मोड ऑन होने के बावजूद, ब्लू-टूथ और वाई-फाई का उपयोग भी किया जा सकता है।


आइए जानते हैं, कि हवाई जहाज में अपने मोबाइल फ़ोन को, फ्लाइट मोड में रखना जरूरी क्यों है ?


उड़ान के समय मोबाइल फ़ोन पर नेटवर्क को उपयोग करने से एरोप्लेन के नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम्स में रुकावट आ सकती है। मोबाइल फोन में फ्लाइट मोड ऑन न होने से पायलट के काम में भी परेशानी हो सकती है। इसी कारण हवाई यात्रा में विशेषकर उड़ान भरने के समय सभी यात्रियों को अपने मोबाइल फोन को फ्लाइट मोड में रखने के निर्देश दिए जाते हैं।


आइए अब समझते हैं कि उड़ान के दौरान फ्लाइट मोड ऑन न करने पर क्या हो सकता है ?


फ्लाइट के दौरान मोबाइल नेटवर्क को ऑन करना, बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, परन्तु ऐसा करने से हवाई जहाज को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं होता है, उड़ान के दौरान मोबाइल फोन को फ्लाइट मोड ना रखने से ना तो एरोप्लेन में कोई धमाका होगा और ना ही वो एरोप्लेन एकदम से क्रैश हो जाएगा, लेकिन, इससे एरोप्लेन के पायलटों के लिए मुश्किल अवश्य उत्पन्न जाएगी। मोबाइल फोन का सिग्नल ऐरोप्लेन के कम्युनिकेशन सिस्टम को कंफ्यूज कर सकता है क्योंकि फ्लाइट के दौरान पायलट को हमेशा राडार और कंट्रोल रूम के संपर्क में रहना होता है, लेकिन, यदि विमान में बैठे यात्री अपने मोबाइल फोन को फ्लाइट मोड पर नही रखेंगें, तो इससे पायलट को न केवल कम्युनिकेट करने में परेशानी होगी बल्कि अपने कंट्रोल रूम से कॉन्टैक्ट करने में भी समस्या होगी, जिससे फ्लाइट के अपने रास्ते से भटक जाने या फ्लाइट के साथ कोई एक्सीडेंट होने का खतरा बढ़ सकता है।


मोबाइल फ़ोन से उत्पन्न होने वाली तरंगे अन्य स्थानों के सम्पर्क सिस्टम से जुड़ने लगती हैं जिससे एरोप्लेन का अपने रेडियो स्टेशन से कॉन्टैक्ट टूटने का खतरा पैदा हो जाता है और पायलट को निर्देश ठीक से नहीं सुनाई दे पाते हैं। इस तरह सही निर्देश न मिल पाने के कारण हवाई जहाज के क्रैश होने की आशंका बढ़ जाती है। सोचिए यदि फ्लाइट में बहुत सारे लोग अपने मोबाइल फ़ोन के फ्लाइट मोड को ऑन न करें तो इससे कितनी ज्यादा परेशानी होगी। इसीलिए, जब भी आप हवाई जहाज से यात्रा करें, तो, उड़ान के दौरान, अपने मोबाइल फोन को, फ्लाइट मोड पर ही रखें।

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