- प्रवीण कुमार
धरती से क्यों गायब हो रहे हैं जुगनू ?
दोस्तों आपने भी धरती पर टिमटिमाते हुए तारों को जरूर देखा होगा जिन्हें हम जुगनू कहते हैं। क्या आपको याद है धरती पर टिमटिमाते हुए इन तारों को आपने आखिरी बार कब देखा था ? क्या आप जानते हैं कि रात के अँधेरे में तारों की तरह टिमटिमाते हुए ये जुगनू धीरे-धीरे धरती से क्यों गायब हो रहे हैं ?
दोस्तों पूरी दुनिया के लिए यह चिंता की बात है कि जुगनू बहुत तेजी से हमारी धरती से समाप्त हो रहे हैं। क्या आपको याद है कि आपने रात के अँधेरे में तारों की तरह टिमटिमाते हुए इन जुगनुओं आखिरी बार कब और कहाँ देखा था ? सिर्फ़ शहरों से ही नहीं बल्कि हमारे गांवों से भी अब जुगनू गायब हो गए हैं या गायब हो रहे हैं। और ऐसा केवल हमारे देश में ही नहीं हो रहा है, बल्कि, सारी दुनिया में जुगनू बहुत तेजी से ख़त्म हो रहे हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि प्रकृति की ओर प्रदान किए गए ये सुन्दर जीव अब रात में हमें अपने आस-पास टिमटिमाते हुए नहीं दिखाई देते हैं।
सिर्फ़ शहरों से ही नहीं बल्कि हमारे गांवों से भी अब जुगनू गायब हो गए हैं या गायब हो रहे हैं। और ऐसा केवल हमारे देश में ही नहीं हो रहा है, बल्कि, सारी दुनिया में जुगनू बहुत तेजी से ख़त्म हो रहे हैं, यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार हमारे वातावरण में तेजी से हो रहा बदलाव जुगनुओं के अस्तित्व के लिए ठीक नहीं है इसलिए जुगनू धरती से गायब हो रहे हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया में जितने भी कीट-पतंगे पाए जाते हैं, उनमें जुगनुओं की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है।
आइए समझते हैं कि जुगनू कैसे चमकते हैं ?
जुगनुओं के पेट में प्रकाश पैदा करने वाला एक विशेष अंग होता है, अपने शरीर के इसी खास अंग की मदद से जुगनू रात में चमकते हैं। वास्तव में, जुगनू अपनी विशेष कोशिकाओं से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और इस ऑक्सीजन को अपने शरीर में मौजूद लूसीफेरिन नामक एक खास तत्व के साथ मिला देते हैं, जैसे ही ऑक्सीजन और लूसीफेरिन आपस में मिलते हैं तो इन दोनों की पारस्परिक अभिक्रिया से प्रकाश पैदा होता है। इस प्रकाश को जीव-दीप्ति या जीव संदीप्ति या शीतल प्रकाश अथवा बायो-ल्यूमिनि-सेंस कहते हैं. यद्यपि इस प्रकाश में गर्मी बिल्कुल ना के बराबर ही होती है।
आइए जानते हैं कि हमारी धरती पर आखिर कब से रह हैं जुगनू ?
कोलियोप्टेरासमूह के लैंपि-रिडी परिवार से संबंध रखने वाले, जुगनुओं के बारे में, सर्वाधिक हैरान करने वाली बात तो ये है, कि ये रात्रिचर कीट, धरती पर डायनासोरों के युग से ही रह रहे हैं। सारे संसार में जुगनुओं की लगभग 2000 अलग-अलग प्रजातियां पायी जाती हैं। अंटार्कटिका के आलावा बाकि पूरी पृथ्वी पर जुगनुओं की उपस्थिति के निशान मिलते हैं। पहले भारत में जुगनू बहुत अधिक संख्या में पाए जाते थे, यहां के हर क्षेत्र में जुगनुओं का एक अलग नाम हुआ करता था, लेकिन यह जीव अब धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर पहुँच गया है।
आइये जानते हैं कि आपके आस-पास जुगनू की मौजूदगी किस बात का संकेत हैं ?
तारों की तरह टिमटिमाते ये छोटे-छोटे जीव जीवन का संकेत होते हैं। इन छोटे-छोटे सुन्दर जीवों का किसी स्थान में पाया जाना इस-बात का संकेत होता है कि उस स्थान का वातावरण जीवन-जीने-योग्य है। जुगनू बदलते हुए वातावरण के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं। यह नन्हें जीव केवल उस स्थान पर ही जिन्दा रह पाते हैं जहाँ का वातावरण शुद्ध हो और जहाँ पानी में विषैले केमिकल्स न मिले हुए हों. इतना ही नहीं यह छोटे से जीव इंसान को कैंसर जैसी प्राणदायक बीमारी से भी बचा सकते हैं। वर्ष 2015 में नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, स्विट्जरलैंड के कुछ वैज्ञानिकों ने, जुगनुओं को चमकने में सहायता प्रदान करने वाले प्रोटीन को, एक केमिकल में मिलाकर, जब इस मिश्रण को, एक ट्यूमर वाली कोशिका से, जोड़ा, तो यह चमकने लगा।
आइए समझते हैं कि इंसान किस तरह से इन जुगनूओं के दुश्मन बन रहे हैं ?
आजकल गांवों में पेड़, बहुत तेजी से काटे जा रहे हैं। जिन क्षेत्रों में कभी घास और झाड़ियों के मैदान हुआ करते थे उन्हें अब तेजी से साफ किया जा रहा है। कभी ये इलाके जुगनूओं का घर हुआ करते थे। वर्ष 2018 में प्रकाशित इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रकाश-प्रदूषण के कारण जुगनू रास्ता भटक रहे हैं, इतना ही नहीं बल्कि इसकी वजह से ये नन्हें जीव अंधे भी हो रहे हैं। घने पेड़ और झाड़ियां जुगनूओं का प्रकाश-प्रदूषण से बचाव करती हैं, लेकिन अब घने पेड़ और झाड़ियां तेजी से समाप्त हो रहे हैं और इसी के साथ विलुप्त हो रही है तारों की तरह धरती पर चमकने वाली जुगनूओं की प्यारी दुनिया।
आइये जानते हैं कि किस मौसम में चमकते हैं जुगनू ?
वर्ष 2016 में, साइंस नामक पत्रिका में, 12 साल तक चले एक रिसर्च की रिपोर्ट प्रकाशित हुयी थी, जिसमें बताया गया था कि जुगनू बसंत ऋतु में अपने चरम स्तर पर होते हैं, क्योंकि बसंत ऋतु में नमी होती है, इसलिए बसंत के मौसम में जुगनू बहुत ज्यादा दिखाई देते हैं। किन्तु पिछले कुछ सालों से न जाने कितने बसंत आए और गए, लेकिन जुगनू नहीं दिखाई दिए। लगता है आने वाली पीढ़ियों के लोग जुगनूओं के बारे में अब सिर्फ किताबों में पढ़ेंगें और वीडियो के माध्यम से ही जुगनूओं को देख पाएंगे।
तो क्या पृथ्वी से हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएंगे छोटे-छोटे जीव ?
नेचर-क्लाइमेट-चेंज नामक साइंस जर्नल में पब्लिश हुयी एक रिसर्च के अनुसार, आने वाले 50 से 100 वर्षों में धरती पर पाए जाने वाले अधिकतर कीट-पतंगों की लगभग 65 प्रतिशत आबादी विलुप्त हो सकती है। इस रिसर्च में बताया गया है कि ये सब कुछ तेजी से हो रहे क्लाइमेट चेंज के कारण हो रहा है। गंभीर जलवायु परिवर्तन कारण धरती पर तापमान का दबाव बढ़ रहा है, जिसके कारण छोटे-छोटे कीट-पतंगों के विलुप्त होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है। इतना ही नहीं बल्कि इस रिसर्च में ये भी कहा गया है कि आने वाले कुछ सालों में यदि जलवायु परिवर्तन इसी प्रकार होता रहा तो इन जीवों के विलुप्त होने के पूर्वानुमान और भी तेज हो सकते हैं।